यू लगता है मुझे कभी मैं जीवित नहीं हूँ या फिर लगत | हिंदी कविता

"यू लगता है मुझे कभी मैं जीवित नहीं हूँ या फिर लगता है कि कही खो सी गयी हू ये जो मुझमें जिंदा है वो तो मैं नहीं हूं। शायद मैं ,मैं ही नहीं हू क्योंकि बरसों जीने की चाह में मैं मर सी गयीं हूँ आज शायद मैं ,मैं को ढूंढने निकली हूँ।"

 यू लगता है मुझे कभी 
मैं जीवित नहीं हूँ
या फिर लगता है कि
कही खो सी गयी हू
ये जो मुझमें जिंदा है
वो तो मैं नहीं हूं।
शायद मैं ,मैं ही नहीं हू
क्योंकि बरसों जीने की चाह में
मैं मर सी गयीं हूँ
आज शायद मैं ,मैं को ढूंढने निकली हूँ।

यू लगता है मुझे कभी मैं जीवित नहीं हूँ या फिर लगता है कि कही खो सी गयी हू ये जो मुझमें जिंदा है वो तो मैं नहीं हूं। शायद मैं ,मैं ही नहीं हू क्योंकि बरसों जीने की चाह में मैं मर सी गयीं हूँ आज शायद मैं ,मैं को ढूंढने निकली हूँ।

##खुद को ढूंढने चली हूँ##

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