खुद के उसूलों को बना कर चलता हूं, इनसे मिलता हूं त | हिंदी शायरी

"खुद के उसूलों को बना कर चलता हूं, इनसे मिलता हूं तो मुस्कुराकर मिलता हूं । मिलते नहीं आसानी से ये दोस्त इस जहां में, जब भी मिलता हूं खुद को भुलाकर मिलता हूं ।। ©अनुराग अंजान"

 खुद के उसूलों को बना कर चलता हूं,
इनसे मिलता हूं तो मुस्कुराकर मिलता हूं ।
मिलते नहीं आसानी से ये दोस्त इस जहां में,
जब भी मिलता हूं खुद को भुलाकर मिलता हूं ।।
 ©अनुराग अंजान

खुद के उसूलों को बना कर चलता हूं, इनसे मिलता हूं तो मुस्कुराकर मिलता हूं । मिलते नहीं आसानी से ये दोस्त इस जहां में, जब भी मिलता हूं खुद को भुलाकर मिलता हूं ।। ©अनुराग अंजान

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