White दिन भर की थकान- जुस्तजू एक सुकून जब खुला आसम | हिंदी विचार

"White दिन भर की थकान- जुस्तजू एक सुकून जब खुला आसमान  छत से देखता हूं . अनेकों तारों का झुंड बतिया रहा हो  या गा रहा हो खुशियों के गीत  अनजाने प्यार में . अंधेरों को चिरता हुआ प्रकाश  मानो वहां हर रात कोई  त्यौहार का उत्सव होता है  खुशियों का भी दुख का भी उत्सव . और दूसरी तरफ हम हैं  हमें खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है  अड़ोस - पड़ोस समाज और फिर रिश्तेदार  कौन सी खुशियां कैसी और कब मनाएं . और रात -  खुद में अधूरी सी होकर सिमट जाती है . उन सबको - खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है. इसलिए दीए नहीं जलते हमारे यहां  थकान में उठते हैं  और थकान में ही सो जाते हैं. ©Naveen Goswami"

 White दिन भर की थकान- जुस्तजू
एक सुकून जब खुला आसमान 
छत से देखता हूं .
अनेकों तारों का झुंड बतिया रहा हो 
या गा रहा हो खुशियों के गीत 
अनजाने प्यार में .

अंधेरों को चिरता हुआ प्रकाश 
मानो वहां हर रात कोई 
त्यौहार का उत्सव होता है 
खुशियों का भी
दुख का भी उत्सव .

और दूसरी तरफ हम हैं 
हमें खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है 
अड़ोस - पड़ोस समाज और फिर रिश्तेदार 
कौन सी खुशियां कैसी और कब मनाएं .
और रात - 
खुद में अधूरी सी होकर सिमट जाती है .
उन सबको -
खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है.
इसलिए दीए नहीं जलते हमारे यहां 
थकान में उठते हैं 
और थकान में ही सो जाते हैं.

©Naveen Goswami

White दिन भर की थकान- जुस्तजू एक सुकून जब खुला आसमान  छत से देखता हूं . अनेकों तारों का झुंड बतिया रहा हो  या गा रहा हो खुशियों के गीत  अनजाने प्यार में . अंधेरों को चिरता हुआ प्रकाश  मानो वहां हर रात कोई  त्यौहार का उत्सव होता है  खुशियों का भी दुख का भी उत्सव . और दूसरी तरफ हम हैं  हमें खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है  अड़ोस - पड़ोस समाज और फिर रिश्तेदार  कौन सी खुशियां कैसी और कब मनाएं . और रात -  खुद में अधूरी सी होकर सिमट जाती है . उन सबको - खुशियां तय करने में वक्त लग जाता है. इसलिए दीए नहीं जलते हमारे यहां  थकान में उठते हैं  और थकान में ही सो जाते हैं. ©Naveen Goswami

#sawan_2024

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