प्रवल नदी के धार सा
तीक्ष्ण सूर्य के कटार सा ,
जन्म से संकीर्ण हूँ,
मै क्षत्रिय हूँ या कर्ण हूँ ?
कर्म प्रशस्त योग्य सा
वृक्ष के कोंपल सा,
असंख्य दिव्यमान हूँ
मै क्षत्रिय हूँ या कर्ण हूँ?
संघर्ष उत्कृष्ट का,
दृढ-प्रतिज्ञ कर्म का,
भगवान परशुराम शिष्य हूँ,
मै क्षत्रिय हूँ या कर्ण हूँ?
ये क्षण कुरूक्षेत्र का,
कृष्ण संवाद का,
हे माधव मैं कौन हूँ,
मै क्षत्रिय हूँ या कर्ण हूँ ?
ये युद्ध धर्म न्याय का,
उत्कृष्ट अौर सम्मान का,
हे कुन्ते, तुम अात्मा के गुण हो,
तुम संकीर्ण नहीं सूर्य पुत्र कर्ण हो !
©Ankit Yadav
मै क्षत्रिय हूँ या कर्ण हूँ ?
#SunSet