White ग़ज़ल तुमको हर इक दुआ में ही माँगा तो मैंने | हिंदी शायरी

"White ग़ज़ल तुमको हर इक दुआ में ही माँगा तो मैंने था रुकना नहीं था तुमको पुकारा तो मैंने था शायद तुम्हें न याद हो अब नाम भी मेरा तुमने तो सिर्फ़ चाहा था पूजा तो मैंने था रो- रो के अब्र ने तो समंदर भरे हैं बस इससे ज़ियादा हिज्र में रोया तो मैंने था तूफ़ाँ से इनमें अब भी मचलते हैं रात दिन आँखों से तेरा ख़्वाब वो देखा तो मैंने था तुम हो गए किसी के तुम्हारा हुआ कोई इस ज़िंदगी के खेल में खोया तो मैंने था जाने कहाँ से आज ये फिर दर्द सा उठा हाथों से अपने काँटा निकाला तो मैंने था ग़ज़लों को मिल रही है ये किस बात की सज़ा काँटों से जबकि दिल ये लगाया तो मैंने था अब क्या ग़ज़ब कि कोई नमक भर गया 'धरम' दुनिया को ज़ख़्म खुद ही दिखाया तो मैंने था @धर्मेन्द्र तिजोरीवाले 'आज़ाद' ©Dharmendra Azad"

 White ग़ज़ल 

तुमको हर इक दुआ में ही माँगा तो मैंने था 
रुकना नहीं था तुमको पुकारा तो मैंने था 

शायद तुम्हें न याद हो अब नाम भी मेरा 
तुमने तो सिर्फ़ चाहा था पूजा तो मैंने था 

रो- रो के अब्र ने तो समंदर भरे हैं बस 
इससे ज़ियादा हिज्र में रोया तो मैंने था 

तूफ़ाँ से इनमें अब भी मचलते हैं रात दिन 
आँखों से तेरा ख़्वाब वो देखा तो मैंने था 

तुम हो गए किसी के तुम्हारा हुआ कोई 
इस ज़िंदगी के खेल में खोया तो मैंने था 

जाने कहाँ से आज ये फिर दर्द सा उठा 
हाथों से अपने काँटा निकाला तो मैंने था 

ग़ज़लों को मिल रही है ये किस बात की सज़ा 
काँटों से जबकि दिल ये लगाया तो मैंने था 

अब क्या ग़ज़ब कि कोई नमक भर गया 'धरम'
दुनिया को ज़ख़्म खुद ही दिखाया तो मैंने था 

@धर्मेन्द्र तिजोरीवाले 'आज़ाद'

©Dharmendra Azad

White ग़ज़ल तुमको हर इक दुआ में ही माँगा तो मैंने था रुकना नहीं था तुमको पुकारा तो मैंने था शायद तुम्हें न याद हो अब नाम भी मेरा तुमने तो सिर्फ़ चाहा था पूजा तो मैंने था रो- रो के अब्र ने तो समंदर भरे हैं बस इससे ज़ियादा हिज्र में रोया तो मैंने था तूफ़ाँ से इनमें अब भी मचलते हैं रात दिन आँखों से तेरा ख़्वाब वो देखा तो मैंने था तुम हो गए किसी के तुम्हारा हुआ कोई इस ज़िंदगी के खेल में खोया तो मैंने था जाने कहाँ से आज ये फिर दर्द सा उठा हाथों से अपने काँटा निकाला तो मैंने था ग़ज़लों को मिल रही है ये किस बात की सज़ा काँटों से जबकि दिल ये लगाया तो मैंने था अब क्या ग़ज़ब कि कोई नमक भर गया 'धरम' दुनिया को ज़ख़्म खुद ही दिखाया तो मैंने था @धर्मेन्द्र तिजोरीवाले 'आज़ाद' ©Dharmendra Azad

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