अच्छा सुनो , कुछ कहना है तुमसे
तुम सुनोगी क्या ?
मेरा हाथ पकड़,मेरे साथ इस शोर शराबे वाली दुनिया से कही दूर चलोगी क्या?
एक कविता लिखी है तुमपे, हाय!मुझे शर्म आती हैं ।
मेरे लिए तुम इसे पढ़ोगी क्या ?
इज़हार-ए-इश्क़ करना मुस्किल हैं मुझ जैसे शर्मिले लड़के के लिए
करती हूं तुम से प्यार ! ऐसा तुम मुझ से कहोगी क्या?
©Azhar Ali Saifi
#isaq