तुम ना समझ पाओगे
मेरे और उसके दरमियां वाला रिस्ता
बता दिया था उसे ,तू एकतरफ़ा इश्क हैं मेरा
उसने कहा था अज़हर तू एक सच्चा दोस्त है मेरा
और सुन प्यार वाले रिस्ते अक्सर तूट जाया करते हैं
एक यार ही हैं जो मरते दम करते निभाया करते हैं
और आज भी जब मैं तूट कर बिखर जाता हूँ
बिन बुलाए वो आती हैं ,
उठाती है , सवारती है , समझाती हैं , हौशला बढ़ाती हैं
अपनी दोस्ती निभाती हैं ।
और ख़ामोशी से अज़हर को फ़िर अज़हर बना चली जाती हैं ।
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