भोले की जटा से निकलती गंगा की धारा है। जिसने सारी | हिंदी शायरी

"भोले की जटा से निकलती गंगा की धारा है। जिसने सारी श्रृष्टि को तारा है।। भोले का ही वह दिव्य प्रकाश है। जो करता रौशन पूरी धरती और आकाश है।। -ओम प्रकाश कुमार"

 भोले की जटा से निकलती गंगा की धारा है।
जिसने सारी श्रृष्टि को तारा है।।
भोले का ही वह दिव्य प्रकाश है। 
जो करता रौशन पूरी धरती और आकाश है।।

-ओम प्रकाश कुमार

भोले की जटा से निकलती गंगा की धारा है। जिसने सारी श्रृष्टि को तारा है।। भोले का ही वह दिव्य प्रकाश है। जो करता रौशन पूरी धरती और आकाश है।। -ओम प्रकाश कुमार

#Maha_shivratri

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