डिग्रियां गिरवी भी नहीं रखी जाती है साहब पढ लिए स | हिंदी कविता

"डिग्रियां गिरवी भी नहीं रखी जाती है साहब पढ लिए सब मगर निजीकरण ने डस लिए रोजगार शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार का भी व्यापारी करण रिश्वत लेकर नियुक्ति और पर्चे लीक होना भ्रष्टाचार का चरम मुफ्त अनाज मुफ्त बिजली मुफ्त ही देते हैं अब तो मत भी हम शर्म घोल कर पी चुके हैं विषेश तबके से हो या आम जन बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 डिग्रियां गिरवी भी नहीं रखी जाती है साहब 
पढ लिए सब मगर निजीकरण ने डस लिए रोजगार 







शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार का भी व्यापारी करण
रिश्वत लेकर नियुक्ति और पर्चे लीक होना भ्रष्टाचार का चरम




मुफ्त अनाज मुफ्त बिजली मुफ्त ही देते हैं अब तो मत भी हम
शर्म घोल कर पी चुके हैं विषेश तबके से हो या आम जन
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

डिग्रियां गिरवी भी नहीं रखी जाती है साहब पढ लिए सब मगर निजीकरण ने डस लिए रोजगार शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार का भी व्यापारी करण रिश्वत लेकर नियुक्ति और पर्चे लीक होना भ्रष्टाचार का चरम मुफ्त अनाज मुफ्त बिजली मुफ्त ही देते हैं अब तो मत भी हम शर्म घोल कर पी चुके हैं विषेश तबके से हो या आम जन बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

KK क्षत्राणी चाँदनी @Ravi Ranjan Kumar Kausik @Lalit Saxena @Vikram vicky 3.0 KK क्षत्राणी

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