जहां मन भय रहित हो जहां मन भयमुक्त हो और सिर ऊंचा रहे जहां ज्ञान मुफ़्त है
जहां दुनिया टुकड़ों में नहीं बंटी है
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
जहाँ शब्द सत्य की गहराई से निकलते हैं
जहाँ अथक प्रयास पूर्णता की ओर अपनी बाहें फैलाता है
जहां तर्क की स्पष्ट धारा ने अपना रास्ता नहीं खोया है
मृत आदत की नीरस रेगिस्तानी रेत में
जहां मन आपके द्वारा आगे बढ़ाया जाता है
निरंतर व्यापक होते विचार और कार्य में।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ।🌹♥🌹
©Mayank Jain