वो किसी के घर का चराग़ है वो किसी के आँख का नूर है | हिंदी शायरी

"वो किसी के घर का चराग़ है वो किसी के आँख का नूर है वो बुझा हुआ सा है आज कल कोई मसअला तो जरूर है वो भटक रहा है इधर - उधर किसी रहगुजर के तलाश में उसे क्या खबर की अभी सफ़र कई मुश्किलात से दूर है ©Vikash Kumar"

 वो किसी के घर का चराग़ है वो किसी के आँख का नूर है 
वो बुझा हुआ सा है आज कल कोई मसअला तो जरूर है  

वो भटक रहा है इधर - उधर किसी रहगुजर के  तलाश में 
उसे क्या खबर  की अभी सफ़र  कई मुश्किलात  से दूर है

©Vikash Kumar

वो किसी के घर का चराग़ है वो किसी के आँख का नूर है वो बुझा हुआ सा है आज कल कोई मसअला तो जरूर है वो भटक रहा है इधर - उधर किसी रहगुजर के तलाश में उसे क्या खबर की अभी सफ़र कई मुश्किलात से दूर है ©Vikash Kumar

वो किसी के घर का चराग़ है वो किसी के आँख का नूर है
वो बुझा हुआ सा है आज कल कोई मसअला तो जरूर है

वो भटक रहा है इधर - उधर किसी रहगुजर के तलाश में
उसे क्या खबर की अभी सफ़र कई मुश्किलात से दूर है

#walkingalone

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