White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 28) में आपका स्वागत है!
कर्मचारी निराशा की गठरी सर पर लेकर, वापस अपने कमरे की तरफ चल देता है!
दूसरे दिन फिर कर्मचारी ड्यूटी खत्म होने के बाद कंपनी के गेट पर पहुंचता है!उस दिन फिर नंदू से मुलाकात नहीं हो पाता, शायद वह पहले ही निकल चुका था!
कर्मचारी तीसरे दिन वही प्रक्रिया जारी रखता है!आखिर लोग कहते हैं ना की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!आखिरकार नंदू से तीसरे दिन मुलाकात हो ही जाती है!
दोनों का मुलाकात ,भरत मिलाप के समान ,बेहद करुणा पूर्ण था!
कर्मचारी-नंदू के कंधे पे हाथ रखते हुए ,चलो मेरे साथ मैं तुम्हें बढ़िया सा क्वार्टर दिलवाता हूं!
नंदू-अंकल जहां मै रह रहा हूं, वहां भी बढ़िया है!
कर्मचारी- अच्छा चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं!तुम्हारा क्वाटर भी देख लुंगा , कभी मुलाकात करना होतो हम सीधे वहीं आकर मिल लेंगे!
©writer Ramu kumar
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