कसके होय बिआह फलाने ।
दादा हमा तबाह फलाने ।
देखा तेरही करय निता पुनि ,
खड़ा करोना राह फलाने ।
ताके बाबा रहें अबय तक ,
अब बची कलपडाह फलाने ।
पुलिस दुआरे ताके बइठी ,
जनता रहय पचास फलाने ।
पचास जने हँ घरय भरे के ,
केखर छाड़ी बाँह फलाने ।
फुफा रिसाने बइठ हमा अब ,
छोड़ा नही अबाह फलाने ।
नाऊ पंडित नेग बिसरिगें ,
बचा हबय निरबाह फलाने ।
नाउन हाथ जोरि के बइठी ,
गठिजोरबा भा छाँह फलाने ।
भाई कइसन लाबा परसी ,
होइगइ निकही दाँय फलाने ।
सनेटाइजर छिरकत लाग हँ
पनही के चोरबाह फलाने ।
बिदा भलाई दूरिन दूरी ,
रही भेंट के चाह फलाने ।
मुँह बाँधि फुफू डोला मूदय ,
परछन हबय उदास फलाने ।
खड़ी ननदि सब दूरिन दूरी ,
जूँठ इहन को खाय फलाने ।
घर मा बइठे सबजन देखी ,
आनलाइन बिआह फलाने ।
कबिता लिखिके अम्बर बइठे ,
मिलय नही अब बाह फलाने ।
( त्वरित स्वरचित रचना )
नाम - अम्बरीश शर्मा "अम्बर
मोबाइल नंबर- 7970026771
©AMBREESH Ambar
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