हो गई प्रेम में मगन बिसरा दिये मन के अहम...... मैं
"हो गई प्रेम में मगन
बिसरा दिये मन के अहम......
मैं तो ......
अपने प्रिय की प्रीत में रंगने लगी हूं.....
ना मीरा बनूं ना राधा बनूं.....
मुझे प्रीत प्यारी लगे....
बस मैं प्रिय की छाया बनूं।।"
हो गई प्रेम में मगन
बिसरा दिये मन के अहम......
मैं तो ......
अपने प्रिय की प्रीत में रंगने लगी हूं.....
ना मीरा बनूं ना राधा बनूं.....
मुझे प्रीत प्यारी लगे....
बस मैं प्रिय की छाया बनूं।।