मैं तुम्हे पढ़ने का इंतेज़ार करती हूं लिखना छोड़कर | हिंदी Poetry

"मैं तुम्हे पढ़ने का इंतेज़ार करती हूं लिखना छोड़कर, की जालिम दिल अब तक मानता नहीं की तुम बेवफा निकले।।"

 मैं तुम्हे पढ़ने का इंतेज़ार करती हूं लिखना छोड़कर,
की जालिम दिल अब तक मानता नहीं की तुम बेवफा निकले।।

मैं तुम्हे पढ़ने का इंतेज़ार करती हूं लिखना छोड़कर, की जालिम दिल अब तक मानता नहीं की तुम बेवफा निकले।।

mks_ M K SANYA
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