आज गली में मैंने उसे देखा,
मैली फटी साड़ी में लिपटी सी,
ध्रूमिल चेहरे से तकते हुए,
जैसे कुछ ना कह कर भी, हजार सवाल पूछ दिए हो,
उसकी खाली आंखे, जैसे अपना पता तलाश रही हो कहीं,
नग्न पैरो से एक एक डेग नापती हुई,
लग रहा मीलो का सफर कर आई हो।
इतना देखकर जब मुझसे ना रहा गया,
तो पूछा मैंने, अम्मा कहां जाना है आपको।
मेरे मां कहते ही वो फूट फूट कर रो पड़ी,
उसके हर आंसू में उसकी कहानी दिख रही थी,
शायद मां होने की ही उसे सजा मिल रही थी।
उसके कांपते हाथो से उसकी लहचरी बाया हो रही थी।
आज परिवार से निकाली गई अनाथ मां की विदाई हो रही थी।।
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