मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है मौन हैं ये | हिंदी कविता

"मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है मौन हैं ये चश्म किंतु वेदना का श्राप अनायास बह रहा है ✍🏻Rajnikant ojha ©mr.ojha"

 मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है
 मौन हैं ये चश्म किंतु 
 वेदना का श्राप अनायास बह रहा है
✍🏻Rajnikant ojha

©mr.ojha

मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है मौन हैं ये चश्म किंतु वेदना का श्राप अनायास बह रहा है ✍🏻Rajnikant ojha ©mr.ojha

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