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जीवन पथ के घोर तिमिर में नूतन सपने बीन रहा हूँ🙂
mr.ojha
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मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है मौन हैं ये चश्म किंतु वेदना का श्राप अनायास बह रहा है ✍🏻Rajnikant ojha ©mr.ojha
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White माँ मेरा संसार तुम्हीं हो काशी और हरिद्वार तुम्हीं हो तुम्हीं वेद हो तुम्हीं ग्रंथ हो माँ गीता का सार तुम्हीं हो ©Rajnikant ojha
दिशा दीप्त हो गई गगन घिर गया प्रखर उजियाली में अमित रंग के दीप जले हैं सुंदर सुंदर थाली में करबद्ध निवेदन, हे सृष्टि के पालनहार दुःखियों के भी तम हर लेना अबकी बार दिवाली में ©Rajnikant ojha
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