रातभर जागकर देखता मैं रहा । चांद की चांदनी सेकता म | हिंदी शायरी

"रातभर जागकर देखता मैं रहा । चांद की चांदनी सेकता मैं रहा ।। वो तो था नींद में "प्रेम" डूबा हुआ । पर यहां ख़्वाब से खेलता मैं रहा ।। वो समझता रहा इश्क़ को खेल सा । दर्द दिल का मगर झेलता मैं रहा ।। ©P.k. Shayar"

 रातभर जागकर देखता मैं रहा ।
चांद की चांदनी सेकता मैं रहा ।।

वो तो था नींद में "प्रेम" डूबा हुआ ।
पर यहां ख़्वाब से खेलता मैं रहा ।।

वो समझता रहा इश्क़ को खेल सा ।
दर्द दिल का मगर झेलता मैं रहा ।।

©P.k. Shayar

रातभर जागकर देखता मैं रहा । चांद की चांदनी सेकता मैं रहा ।। वो तो था नींद में "प्रेम" डूबा हुआ । पर यहां ख़्वाब से खेलता मैं रहा ।। वो समझता रहा इश्क़ को खेल सा । दर्द दिल का मगर झेलता मैं रहा ।। ©P.k. Shayar

#नोजोटोराइटर्स #nojoto

#meltingdown

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