कभी वीर रस,
कभी श्रंगार रस,
कभी हास्य रस,
से प्यार किया !
मेरे हिन्द के
कवियों ने सदा
हिन्दी भाषा का
विस्तार किया ।
©rohit sarswati
#Hindidiwas # केवल कहने मात्र से
हिन्दी भाषा को जीवित नही रखा जायेगा
इसकी रक्षा के लिये सभी कलमकारों को
मैदान मे उतरना होगा ।
कही ऐसा ना हो आने वाली पीढी को ये भी
न पता हो हमारी मातृभाषा कोन सी है ।