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चंचल चँदा चँदा की चंचलता देखो धीमी चाल ओर चमक को देखो केसे निहारे चाँदनी उसको बादल में छुप उसे चलता देखो चँदा की चंचलता देखो ©dr.rohit sarswati
dr.rohit sarswati
10 Love
Physiotherapist Dr. Rohit sarswati D.P.T ©rohit sarswati
12 Love
जिदंगी बदल गई एक तेरे आ जाने से वरना कभी हम भी गलियों के आवारा हुआ करते थे । ©rohit sarswati
9 Love
जो भारतीय नागरिक चंद सिक्को के लिये विदेशी सरजमीं पर जाकर अपनी मातृभाषा भूल सकते है ऐसे नागरिको को भारत का भविष्य मानना हमारी मुर्खता होगी । ©rohit sarswati
11 Love
कभी वीर रस, कभी श्रंगार रस, कभी हास्य रस, से प्यार किया ! मेरे हिन्द के कवियों ने सदा हिन्दी भाषा का विस्तार किया । ©rohit sarswati
ईश्वर वदंना छल कपट सब त्याग प्रभु में सच कि राह पर चलना सीखूँ सबका मीत बनूँ इस जग में सबको मीत बनाना सीखूँ भटक न जाउँ तेरी राह कभी तेरे दर का होकर रह जाउँ जीवन कि हर ठोकर में प्रभु स्पर्श तेरा ही में पाउँ खुद मिट कर भी हे दाता में नाम तेरा लिखना सीखूँ छल कपट सब त्याग प्रभु में सच कि राह पर चलना सीखूँ ©rohit sarswati
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