फरवरी बीत गयी है,अब तो मैं तुम्हें गुलाब भी नहीं द
"फरवरी बीत गयी है,अब तो मैं तुम्हें गुलाब भी नहीं दे सकता,
पहला इश्क होता तो बात ठीक थी,मैं दूसरे का नाम इंकलाब तो नहीं दे सकता,
कहानी अपनी छोटी रखना तुम,मैं फ़िर से इश्क को जिंदगी की नयी किताब तो नहीं दे सकता!"
फरवरी बीत गयी है,अब तो मैं तुम्हें गुलाब भी नहीं दे सकता,
पहला इश्क होता तो बात ठीक थी,मैं दूसरे का नाम इंकलाब तो नहीं दे सकता,
कहानी अपनी छोटी रखना तुम,मैं फ़िर से इश्क को जिंदगी की नयी किताब तो नहीं दे सकता!