अलविदा अबरार आज़मी
शायर, अदीब और थें, जो इल्म के धनी,
कोई न और थें, वो थें अबरार आज़मी।
बेशक़ न हों वो आज, हम सब के बीच में,
ज़िंदा रहेंगी यादें, किताबों के रूप में।
चाहत वतन की दिल में, थी इस कदर भरी,
पैदा हुए जहाँ वहीं, तदफीन भी हुई।
मुद्दत पे पैदा होती, हैं ऐसी शख्सियत,
जिनके दिलों में होती हैं, हर शय की अहमियत।