फर्क़ चाहे किसी को पड़े न पड़े,
हम तो हैं दिलजले दिल जलाते रहेंगे
कोई पढ़े न पढ़े और सुने न सुने,
दिल की सुनते हैं दिल की सुनाते रहेंगे
हमारी लिखावट है दर्पण हमारा,
जो पढ़ लो हमें जान जाओगे तुम भी
जज़्बातों के मोती से शब्दों की माला,
बनाते हैं हर पल बनाते रहेंगे।
©Rajnish Jha
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