कितना कुछ बह रहा है आकाश,बादल, हवा, दरिया साँसे, ध | हिंदी विचार

"कितना कुछ बह रहा है आकाश,बादल, हवा, दरिया साँसे, धड़कन, मष्तिक, मन यहाँ तक कि पूरी आकाश गंगा भी ब्रमांड में बह रही है इन सबको बहता मैं तभी देख पाया जब मैंने इस्तिर होना सीखा पर इन सबके बीच मैं किसी और इस्तिर चीज़ को न देख पाया आख़िर ये कैसा आभास है? ये कैसी जागृति है? क्या मेरा रुकना ठीक है? क्या अनंत रूप में बहना ठीक है? मैं इन सवालों के जवाब नहीं जानता फिलहाल मैं और इस्तिर होने की कोशिश कर रहा हूँ हो सका तो नदी की धार में बड़ी सी चट्टान बन जाऊँगा या शायद बह जाऊँगा इन सवालों की लहर के साथ तुम बताओ क्या तुमने कभी किसी फूल को खिलते देखा है ? उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma"

 कितना कुछ बह रहा है
आकाश,बादल, हवा, दरिया
साँसे, धड़कन, मष्तिक, मन
यहाँ तक कि पूरी
आकाश गंगा भी ब्रमांड में बह रही है
इन सबको बहता मैं 
तभी देख पाया 
जब मैंने इस्तिर होना सीखा
पर इन सबके बीच मैं
किसी और इस्तिर चीज़ को न देख पाया
आख़िर ये कैसा आभास है?
ये कैसी जागृति है?
क्या मेरा रुकना ठीक है?
क्या अनंत रूप में बहना ठीक है?
मैं इन सवालों के जवाब नहीं जानता
फिलहाल मैं और इस्तिर होने की
कोशिश कर रहा हूँ
हो सका तो नदी की धार में
बड़ी सी चट्टान बन जाऊँगा
या शायद बह जाऊँगा 
इन सवालों की लहर के साथ
तुम बताओ
क्या तुमने कभी
किसी फूल को खिलते देखा है ?

उज्ज्वल~

©Ujjwal Sharma

कितना कुछ बह रहा है आकाश,बादल, हवा, दरिया साँसे, धड़कन, मष्तिक, मन यहाँ तक कि पूरी आकाश गंगा भी ब्रमांड में बह रही है इन सबको बहता मैं तभी देख पाया जब मैंने इस्तिर होना सीखा पर इन सबके बीच मैं किसी और इस्तिर चीज़ को न देख पाया आख़िर ये कैसा आभास है? ये कैसी जागृति है? क्या मेरा रुकना ठीक है? क्या अनंत रूप में बहना ठीक है? मैं इन सवालों के जवाब नहीं जानता फिलहाल मैं और इस्तिर होने की कोशिश कर रहा हूँ हो सका तो नदी की धार में बड़ी सी चट्टान बन जाऊँगा या शायद बह जाऊँगा इन सवालों की लहर के साथ तुम बताओ क्या तुमने कभी किसी फूल को खिलते देखा है ? उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma

कितना कुछ बह रहा है
आकाश,बादल, हवा, दरिया
साँसे, धड़कन, मष्तिक, मन
यहाँ तक कि पूरी
आकाश गंगा भी ब्रमांड में बह रही है
इन सबको बहता मैं
तभी देख पाया
जब मैंने इस्तिर होना सीखा

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