मन बडा बेचैन था, हाथ में डायरी ओर पैन‌ था। चाय ठंड

"मन बडा बेचैन था, हाथ में डायरी ओर पैन‌ था। चाय ठंडी होती रही , ओर कलम ये देखके रोती रही कि जिसका जिकर करना चाहती है वो तेरी किसमत में नहीं। written by sukh sarala 🥀🥀🥀 ©Nima sarala"

 मन बडा बेचैन था,
हाथ में डायरी ओर पैन‌ था।
चाय ठंडी होती रही ,
ओर कलम ये देखके रोती रही
कि जिसका जिकर करना चाहती है 
वो तेरी किसमत में नहीं।
written by sukh sarala
🥀🥀🥀

©Nima sarala

मन बडा बेचैन था, हाथ में डायरी ओर पैन‌ था। चाय ठंडी होती रही , ओर कलम ये देखके रोती रही कि जिसका जिकर करना चाहती है वो तेरी किसमत में नहीं। written by sukh sarala 🥀🥀🥀 ©Nima sarala

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