मुश्किल भरे हालातो में,
उन अंधेरी रातों मैं,
दरद सुनता कौन है उसके सिवा।
कुछ लोग उसे कहते है नशा,
पुरे दिन की थकान ,
एक पल में मिटा देती है,
पता नहीं वो इतनी वफा
कैसे कर लेती है।
कैसे एहसान उतारे उस चाय ☕का,
जो हर बार मेरे दिल की बात छुपा लेती है।
written by sukh sarala
©Nima sarala
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