My dear poem समन्दर नहीं कुछ बूंद मांगता सारे दिन | हिंदी शायरी

"My dear poem समन्दर नहीं कुछ बूंद मांगता सारे दिन का कुछ सुकून मांगता हूं कभी तो रहम ओ कर्म दिखाया कर मैं कोनसा घड़ी-घड़ी मांगता हूं और , हां ! मैं क्या कह रहा था तुम समझी नहीं क्या, हजारों खड़ी हैं भीड़ में मैं सिर्फ तुम्हे मांगता हूं । ©Navash2411"

 My dear poem समन्दर नहीं कुछ बूंद मांगता
सारे दिन का कुछ सुकून मांगता हूं
कभी तो रहम ओ कर्म दिखाया कर
मैं कोनसा घड़ी-घड़ी मांगता हूं
और , हां ! मैं क्या कह रहा था
तुम समझी नहीं क्या,
हजारों खड़ी हैं भीड़ में
मैं सिर्फ तुम्हे मांगता हूं ।

©Navash2411

My dear poem समन्दर नहीं कुछ बूंद मांगता सारे दिन का कुछ सुकून मांगता हूं कभी तो रहम ओ कर्म दिखाया कर मैं कोनसा घड़ी-घड़ी मांगता हूं और , हां ! मैं क्या कह रहा था तुम समझी नहीं क्या, हजारों खड़ी हैं भीड़ में मैं सिर्फ तुम्हे मांगता हूं । ©Navash2411

#नवश

People who shared love close

More like this

Trending Topic