White संध्या का समय और समुंदर का किनारा था एक दौर | हिंदी कविता

"White संध्या का समय और समुंदर का किनारा था एक दौर था जब हाथों में हाथ तुम्हारा था गीली रेत पर पैरों के पदचिह्न तुम्हारे मैंने नतमस्तक हो पूजित तुम्हें किया था तुम्हारा यूं अनवरत देखना संपूर्ण ब्रम्हांड में प्रेम भर जाता था मेरे हृदय का ब्रम्हांड अब खंड खंड हो चला है जिसमें कभी तुम्हारा ही अधिपत्य नज़र आता था मेरे प्रेम को अपने प्रेम से पुनर्जीवन दान दे दो जो तुम्हारे प्रेम के गंगाजल से कभी तृप्त हो जाता था। ©Richa Dhar"

 White संध्या का समय और समुंदर का किनारा था
एक दौर था जब हाथों में हाथ तुम्हारा था
गीली रेत पर पैरों के पदचिह्न तुम्हारे 
मैंने नतमस्तक हो पूजित तुम्हें किया था
तुम्हारा यूं अनवरत देखना
संपूर्ण ब्रम्हांड में प्रेम भर जाता था
मेरे हृदय का ब्रम्हांड अब खंड खंड हो चला है
जिसमें कभी तुम्हारा ही अधिपत्य नज़र आता था
मेरे प्रेम को अपने प्रेम से पुनर्जीवन दान दे दो
जो तुम्हारे प्रेम के गंगाजल से कभी तृप्त हो जाता था।

©Richa Dhar

White संध्या का समय और समुंदर का किनारा था एक दौर था जब हाथों में हाथ तुम्हारा था गीली रेत पर पैरों के पदचिह्न तुम्हारे मैंने नतमस्तक हो पूजित तुम्हें किया था तुम्हारा यूं अनवरत देखना संपूर्ण ब्रम्हांड में प्रेम भर जाता था मेरे हृदय का ब्रम्हांड अब खंड खंड हो चला है जिसमें कभी तुम्हारा ही अधिपत्य नज़र आता था मेरे प्रेम को अपने प्रेम से पुनर्जीवन दान दे दो जो तुम्हारे प्रेम के गंगाजल से कभी तृप्त हो जाता था। ©Richa Dhar

#love_shayari तुम्हारा प्रेम

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