मेरी जीत में तू हैं
मेरी चीख में तू हैं
तेरे बिना रूठा हैं, ये जहाँ
तेरे बिना सूखी हैं, मेरी बगिया
मन में वीरानी हैं,
दुनिया से अलग क्यों ,
मेरी कहानी हैं
मेरे अल्फाज में तेरे ही,दर्द है
मेरे सपनों में तेरे ही रंग हैं
शब्दों का सफर हमपे भारी हैं
हर पल में तेरी निशानी हैं
किस किस को समझाऊ,
तेरी कमी का एहसास
कहा सुनाऊ मैं,
अपनी ये दास्तान...मेरी माँ!!
©madhavi
माँ...!!
#MothersDay