White तुम्हें कितना मनाऊं, थक गया हूं,
तुम्हें क्या क्या बताऊं, थक गया हूं।
कहा था रुठना, बेहद सलीके से,
समझाऊं भला कैसे, थक गया हूं।
हमारे बीच की ये दुरियां, दूरी नहीं लगती,
तुम्हारा देखना निर्निमेष ,मजबूरी नहीं लगती।
कोई तो बात है,न हम समझे, न तुम समझे,
बतलाऊं तुम्हें कैसे, थक गया हूं।
चलो छोड़ो मनाते हैं,भला अब मान भी जाओ,
नये सपने सजाते हैं, भला अब मान भी जाओ।
चलो अब थाम लो,मेरी कंपती उंगलियों को,
यही तो उम्र की रानाईयांं है, थक गया हूं।
मनीष तिवारी।।
©Manish ghazipuri
#sad_shayari थक गया हूं