Manish ghazipuri

Manish ghazipuri

simple and normal boy and writer

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White हर इक शहर से कोई, गांव निकल आता है, इंतहा दर्द की हो,अश्क छलक जाता है। एक पगडंडी,सी चलती है, पांव के नीचे, हवा के झोंकों से कोई, राह भटक जाता हैं। कोई आता हैं तो,उसको जताऐ कैसे, कोई जाता हैं तो,उसको बुलाए कैसे। सराय समझो ना,ये तो मेरा घर "काफ़िर", ज़ख्म रिसते है तो, पैमाना छलक जाता है। ये सफ़र पूरा नहीं,आज भी अधुरा है, तलाश पूरी नहीं, काम सब अधुरा है। पास मंज़िल के आने से कुछ नहीं होता, आखिरी ज़ाम में ही, पांव बहक जाता है। ©Manish ghazipuri

#विचार #Life_in  White हर इक शहर से कोई, गांव निकल आता है,
इंतहा दर्द की हो,अश्क छलक जाता है।
एक पगडंडी,सी चलती है, पांव के नीचे,
हवा के झोंकों से कोई, राह भटक जाता हैं।

कोई आता हैं तो,उसको जताऐ कैसे,
कोई जाता हैं तो,उसको बुलाए कैसे।
सराय समझो ना,ये तो मेरा घर "काफ़िर",
ज़ख्म रिसते है तो, पैमाना छलक जाता है।

ये सफ़र पूरा नहीं,आज भी अधुरा है,
तलाश पूरी नहीं, काम सब अधुरा है।
पास मंज़िल के आने से कुछ नहीं होता,
आखिरी ज़ाम में ही, पांव बहक जाता है।

©Manish ghazipuri

#Life_in my village ❤️😍

13 Love

White वो कहते है आतंकवाद की कोई जाती नहीं होती आतंकवादी का हर रिश्ता उनके शांतिप्रिय धर्म से निकलता है, वो कहते है खुद को मोहम्मद का सगा, पर रोजी रोटी और घर इनका , राम के वंशजों से चलता है। देश धर्म से ऊपर इनको सरिया नजर आता है, अल्लाह अल्लाह ये चिल्लाते है शायद अल्लाह इनके अन्दर वही सरिया डाल जाता है। देश में कुछ भी हो सनातन में भाईचारा इनका मौन रहता है , ईरान इराक में कुछ हो तो छाती पीट पीट ये दोगले चिल्लाते है। सिखा रहा था मुझको हम सब भाई भाई है ॐ जाप को सुनते ही भूतों सा वह भड़क उठा जाप न करो इसका तुम इतना कह वो तड़क उठा, उपचार नहीं था सरल मगर महामंत्र को सुना दिया , सारी दुविधा सारी बढ़ा क्षण भर में ही मिटा दिया। ©Manish ghazipuri

#राष्ट्रधर्म #विचार  White वो कहते है आतंकवाद की कोई जाती नहीं होती  
आतंकवादी का हर रिश्ता उनके शांतिप्रिय धर्म से निकलता है,
वो कहते है खुद को मोहम्मद का सगा,
पर रोजी रोटी और  घर इनका ,
राम के वंशजों से चलता है।
 देश धर्म से ऊपर इनको सरिया नजर आता है,
अल्लाह अल्लाह ये चिल्लाते है 
शायद अल्लाह इनके अन्दर वही सरिया डाल जाता है।
 देश में कुछ भी हो सनातन में भाईचारा इनका मौन रहता है ,
ईरान इराक में कुछ हो तो छाती पीट पीट ये दोगले चिल्लाते है।
सिखा रहा था मुझको हम सब भाई भाई है 
ॐ जाप को सुनते ही भूतों सा वह भड़क उठा
जाप न करो इसका तुम इतना कह वो तड़क उठा,
उपचार नहीं था सरल मगर महामंत्र को सुना दिया ,
   सारी दुविधा सारी बढ़ा क्षण भर में ही मिटा दिया।

©Manish ghazipuri

White ये शहर अजनबी,रास्ते अजनबी, शाम भी अजनबी,ये सुबह अजनबी। हाल पुछा, सभी ने बुला कर मगर, जब चले तो कहा,अजनबी,अजनबी। प्यास भी थी,अजब जो बुझी ही नहीं, आस भी थी,गजब जो थकी ही नहीं। चलते,चलते नदी तट,पे आ ही गया, फिर नदी ने, कहा अजनबी,अजनबी। प्यार से सब मिले, औ दुलारा बहुत, हाथ में हाथ, लेकर सराहा बहुत। नींद में था भला, मैं कहूँ क्या कहूँ, लग रहे थे सभी,अजनबी,अजनबी। ©Manish ghazipuri

#विचार #love_story  White ये शहर अजनबी,रास्ते अजनबी,
शाम भी अजनबी,ये सुबह अजनबी।
हाल पुछा, सभी ने बुला कर मगर,
जब चले तो कहा,अजनबी,अजनबी।

प्यास भी थी,अजब जो बुझी ही नहीं,
आस भी थी,गजब जो थकी ही नहीं।
चलते,चलते नदी तट,पे आ ही गया,
फिर नदी ने, कहा अजनबी,अजनबी।

प्यार से सब मिले, औ दुलारा बहुत,
हाथ में हाथ, लेकर सराहा बहुत।
नींद में था भला, मैं कहूँ क्या कहूँ,
लग रहे थे सभी,अजनबी,अजनबी।

©Manish ghazipuri

#love_story नये अच्छे विचार

12 Love

White सांझ ढले भी चलते रहना,मजबूरी थी, रात रात भर जलते रहना, मजबूरी थी। अंधेरे को कुछ तो फर्क,पड़ा ही होगा, जुगनू बन कर राह दिखाना,मजबूरी थी। उजियारे में कौन भला, अब याद करेगा, कौन भला बीती रातों,की बात करेगा। थके हुए पंखों में वो, परवाज़ कहां है, फिर भी राहों में उड़ते रहना, मजबूरी थी। कौन सुनेगा चीख, समय की आपाधापी, कौन बनेगा मीत, समय की आपाधापी। अपनी ही शब्दों की,प्रतिध्वनि सून लेता हूं, "रहो जागते" कहते रहना, मजबूरी थी। ©Manish ghazipuri

#विचार #GoodMorning  White सांझ  ढले  भी चलते रहना,मजबूरी थी,
रात  रात  भर जलते रहना, मजबूरी थी।
अंधेरे   को  कुछ  तो फर्क,पड़ा ही होगा,
जुगनू बन कर राह दिखाना,मजबूरी थी।

उजियारे में कौन भला, अब याद करेगा,
कौन  भला  बीती  रातों,की बात करेगा।
थके   हुए  पंखों  में वो, परवाज़ कहां है,
फिर भी राहों में उड़ते रहना, मजबूरी थी।

कौन  सुनेगा  चीख, समय की आपाधापी,
कौन   बनेगा  मीत, समय  की आपाधापी।
अपनी ही शब्दों की,प्रतिध्वनि सून लेता हूं,
"रहो  जागते"  कहते  रहना,  मजबूरी   थी।

©Manish ghazipuri

#GoodMorning

15 Love

White पाप पुन्य का लेखा जोखा तुम ही रखना, तन मन धन का लेखा जोखा तुम ही रखना। अपना तो बस काम राह पर चलते रहना, राहों से पहचान बना कर तुम ही रखना। कहीं ठहरना, फिर चल देना आदत अपनी, और हवावों के जैसी कुछ फितरत अपनी। क्या खोया क्या पाया इतनी समझ कहां है, हानि लाभ का लेखा जोखा तुम ही रखना। दुख सुख का अनुमान लगा कर राह बदल लूं, तुफानों के डर से अपनी चाह बदल लूं। खेल रहा झंझावातो से निशि दिन प्रतिपल, परिणामो का लेखा जोखा तुम ही रखना। ©Manish ghazipuri

#मोटिवेशनल #sad_quotes  White पाप  पुन्य  का  लेखा  जोखा तुम ही रखना,
तन मन धन का लेखा जोखा तुम ही रखना।
अपना  तो  बस  काम राह पर चलते रहना,
राहों  से  पहचान  बना  कर तुम ही रखना।

कहीं ठहरना, फिर चल देना आदत अपनी,
और हवावों के जैसी कुछ फितरत अपनी।
क्या खोया क्या पाया इतनी समझ कहां है,
हानि लाभ का लेखा जोखा तुम ही रखना।

दुख सुख का अनुमान लगा कर राह बदल लूं,
तुफानों   के   डर   से   अपनी  चाह बदल लूं।
खेल  रहा  झंझावातो  से निशि दिन प्रतिपल,
परिणामो   का   लेखा जोखा  तुम  ही रखना।

©Manish ghazipuri

#sad_quotes

12 Love

White ज़िन्दगी भर चला, ज़िन्दगी के लिए, फिर भी सारा सफर, अधुरा रहा। ना ही तृष्णा मिटी, ना मिटी लालसा, एक पथ से, मै दुजे पे चलता रहा। हर गली, हर शहर, हर इक मोड़ पर, साथ में कुछ चले,कुछ गये छोड़ कर। सोचता ही रहा, जिन्दगी क्या बला, खुद से खुद का हर इक प्रश्न करता रहा। लौट कर फिर किसी ने,ना कुछ भी कहा, प्रश्न था जो मेरा, प्रश्न ही रह गया। इक किरन कोई,धुँधली सी दिख ना सकी, थी उजाले की आशा, भटकता रहा। ज़िन्दगी भर चला ज़िन्दगी के लिए, फिर भी सारा सफर, अधुरा रहा। मनीष गाजीपुरी ©Manish ghazipuri

#विचार #GoodMorning  White ज़िन्दगी   भर   चला,  ज़िन्दगी के लिए,
फिर   भी  सारा    सफर,  अधुरा   रहा।
ना  ही   तृष्णा  मिटी, ना  मिटी लालसा,
एक   पथ   से,  मै  दुजे  पे  चलता रहा।

हर गली,   हर शहर,  हर  इक  मोड़ पर,
साथ   में  कुछ  चले,कुछ गये छोड़ कर।
सोचता  ही  रहा,  जिन्दगी   क्या   बला,
खुद से खुद का हर इक प्रश्न करता रहा।

लौट  कर फिर किसी ने,ना कुछ भी कहा,
प्रश्न   था   जो   मेरा, प्रश्न   ही  रह  गया।
इक किरन कोई,धुँधली सी दिख ना सकी,
थी   उजाले  की   आशा, भटकता   रहा।

ज़िन्दगी  भर   चला   ज़िन्दगी   के  लिए,
फिर   भी    सारा   सफर,  अधुरा    रहा।

                                              मनीष गाजीपुरी

©Manish ghazipuri

#GoodMorning एहसास

16 Love

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