White ये शहर अजनबी,रास्ते अजनबी,
शाम भी अजनबी,ये सुबह अजनबी।
हाल पुछा, सभी ने बुला कर मगर,
जब चले तो कहा,अजनबी,अजनबी।
प्यास भी थी,अजब जो बुझी ही नहीं,
आस भी थी,गजब जो थकी ही नहीं।
चलते,चलते नदी तट,पे आ ही गया,
फिर नदी ने, कहा अजनबी,अजनबी।
प्यार से सब मिले, औ दुलारा बहुत,
हाथ में हाथ, लेकर सराहा बहुत।
नींद में था भला, मैं कहूँ क्या कहूँ,
लग रहे थे सभी,अजनबी,अजनबी।
©Manish ghazipuri
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