ए जिंदगी तेरे भी खेल निराले है घर मे सब साथ होते है पर वक्त की सुई बेटियों पर टिकी होती है कौन सी सुई कब चुभे वो उसे भी नही पता पर हर बार अपनी इच्छा मन को दबाती है बोल नही पाती बोल भी दे गलत भी वही हो जाती है बचपन से यही सिखाया जाता है ये मत करो वो मत करो तुमको दूसरे का ख्याल नही, दूसरा तुम्हारे लिए ए कर रहा वो कर रहा पर तुम कुछ मत बोलो तुम अपने मन की बोलोगी करने की सोचोगी तुम गलत हो जाओगी पर कब तक आखिरी तक हर बार क्यों कोई बस अपनी इच्छा मनवा ले उसके इच्छा की उसको फर्क नही
हम घड़ी की सुई बन गए....
घडी की सुई ही ऐसी है चाहे जितना चुभे समय सही ही बताएगी
kya likha nhi pta ...... aaj khud ko smjha bhi nhi paa rahi
#leftalone