सजती- सवरती तो हर रोज हूँ ,
पर आज तेरे इंतजार मे सजूँगी....
सितारों में छिपे चांद का इंतजार सब करते हैं
मैं तेरे इंतजार में रहूंगी....
हाथों में मेहंदी लगा रखी है ,
चूड़ियां पहन सोलह सिंगार कर रखा है
भूखी प्यासी हूँ तेरे इंतजार में ,
प्यास बुझाने आओगे ना
54 Love
ए जिंदगी तेरे भी खेल निराले है घर मे सब साथ होते है पर वक्त की सुई बेटियों पर टिकी होती है कौन सी सुई कब चुभे वो उसे भी नही पता पर हर बार अपनी इच्छा मन को दबाती है बोल नही पाती बोल भी दे गलत भी वही हो जाती है बचपन से यही सिखाया जाता है ये मत करो वो मत करो तुमको दूसरे का ख्याल नही, दूसरा तुम्हारे लिए ए कर रहा वो कर रहा पर तुम कुछ मत बोलो तुम अपने मन की बोलोगी करने की सोचोगी तुम गलत हो जाओगी पर कब तक आखिरी तक हर बार क्यों कोई बस अपनी इच्छा मनवा ले उसके इच्छा की उसको फर्क नही
हम घड़ी की सुई बन गए....
घडी की सुई ही ऐसी है चाहे जितना चुभे समय सही ही बताएगी
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