White ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है  आपने जो भी | हिंदी शायरी

"White ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है  आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है  खेत की सारे जुताई दी है  गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्ने की पिराई दी है ये रक़म हाथ न ऐसे आयी  भर के बोरी आज राई दी है  ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो बीच में छोड़ पढ़ाई दी है  आज औलाद मज़ा है करती क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है  आसमां छू रही मँहगाई को कर में देखा न रिहाई दी है  घूस से तोंद उन्हीं की भारी जिनके कपड़ों की सिलाई दी है ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो  इसकी हमने ही  सिंचाई दी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 White ग़ज़ल :-

ख़ैर उसने तो बताई दी है 
आपने जो भी सफ़ाई दी है
जेब से अपने कमाई दी है 
खेत की सारे जुताई दी है 
गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई
पहले गन्ने की पिराई दी है
ये रक़म हाथ न ऐसे आयी 
भर के बोरी आज राई दी है 
ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो
बीच में छोड़ पढ़ाई दी है 
आज औलाद मज़ा है करती
क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है 
आसमां छू रही मँहगाई को
कर में देखा न रिहाई दी है 
घूस से तोंद उन्हीं की भारी
जिनके कपड़ों की सिलाई दी है
ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो 
इसकी हमने ही  सिंचाई दी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

White ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है  आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है  खेत की सारे जुताई दी है  गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्ने की पिराई दी है ये रक़म हाथ न ऐसे आयी  भर के बोरी आज राई दी है  ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो बीच में छोड़ पढ़ाई दी है  आज औलाद मज़ा है करती क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है  आसमां छू रही मँहगाई को कर में देखा न रिहाई दी है  घूस से तोंद उन्हीं की भारी जिनके कपड़ों की सिलाई दी है ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो  इसकी हमने ही  सिंचाई दी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :-

ख़ैर उसने तो बताई दी है 
आपने जो भी सफ़ाई दी है
जेब से अपने कमाई दी है 
खेत की सारे जुताई दी है 
गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई
पहले गन्ने की पिराई दी है

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