कलम छोटी जिसके आगे मेरी
खाली मेरा शब्द-भण्डार पड़ा
मेरी माँ वो देवी है
जिसने मेरा संसार गढ़ा
नव महीने पाला कोख में मुझको
हर अंग मेरा निखारा हैं
खुद को दी है तकलीफ मगर
मेरे जीवन को सांवारा हैं
उसका ही आधार बनाकर
हूँ जीवन-पथ पर आगे बढ़ा
मेरी माँ वो देवी है
जिसने मेरा संसार गढ़ा
उसकी निश्छल आँखों में बस
बसती मेरी ही मूरत है
मैं राजदुलारा हूँ उसका
वो मेरी जरूरत है
उसके ही अरमानों पर
मेरे सपनों का जहाँन खड़ा
मेरी माँ वो देवी है
जिसने मेरा संसार गढ़ा
दुनिया पुजे राम, रहीम या योगी कोई
मेरी माँ सा दुजा कही, नही कोई
और निकाले लाख बुराइयां जमाना हम में
नही दिखती माँ को मेरी कमी कोई
उसके ही चरणों में मेरा
भूत, भविष्य, वर्तमान पड़ा
मेरी माँ वो देवी है
जिसने मेरा संसार गढ़ा
©रंजन कुमार मिश्रा
#motherlove