प्रधानमंत्री की कुर्सी ऐ तख़्त तेरे प्यार ने धर्मों

"प्रधानमंत्री की कुर्सी ऐ तख़्त तेरे प्यार ने धर्मों को पनाह दी, इंसान ने इंसान की बुनियाद हिला दी, क्या खोया क्या पाया ये तो रब ही जाने, इंसान ने इंसान की नियत तो भुला दी। रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal"

 प्रधानमंत्री की कुर्सी ऐ तख़्त तेरे प्यार ने धर्मों को पनाह दी,
इंसान ने इंसान की बुनियाद हिला दी,
क्या खोया क्या पाया ये तो रब ही जाने,
इंसान ने इंसान की नियत तो भुला दी।
रविकुमार

©Ravi Kumar Panchwal

प्रधानमंत्री की कुर्सी ऐ तख़्त तेरे प्यार ने धर्मों को पनाह दी, इंसान ने इंसान की बुनियाद हिला दी, क्या खोया क्या पाया ये तो रब ही जाने, इंसान ने इंसान की नियत तो भुला दी। रविकुमार ©Ravi Kumar Panchwal

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