कहने वाले कहते रहते हैं, उनके मुंह की क्या बातें | हिंदी कविता

"कहने वाले कहते रहते हैं, उनके मुंह की क्या बातें रहती हैं। जहां 2 लोग साथ दिख जाएं, उनके दिल में सांप लोटने लगते हैं। दूसरों की घर में आग लगाने के लिए, अपने घर को पहले जला देते हैं। किसी को खुश होता देख, इनकी खुद की खुशी का पता भूल जाते हैं। ए प्यार करने वालों, तुम फिकर ना करो इस बेतुकी समाज की, जो समस्याओं का हल तो ना ढूंढ सका, पर हर बार समस्या बनकर उभरा है, हर प्रेम कहानी में खलनायक की भूमिका जरूर बना है। कुछ होते हैं मददगार, नहीं होते समाज का हिस्सा, होती उनकी सोच अलग, तभी कहलाते प्रेम प्रतीक की प्रतिष्ठा।।"

 कहने वाले कहते रहते हैं,
 उनके मुंह की क्या बातें रहती हैं।
 जहां 2 लोग साथ दिख जाएं,
उनके दिल में सांप लोटने लगते हैं।
दूसरों की घर में आग लगाने के लिए,
अपने घर को पहले जला देते हैं।
 किसी को खुश होता देख,
 इनकी खुद की खुशी का पता भूल जाते हैं।

 ए प्यार करने वालों,
तुम फिकर ना करो इस बेतुकी समाज की,
जो समस्याओं का हल तो ना ढूंढ सका,
पर हर बार समस्या बनकर उभरा है,
 हर प्रेम कहानी में खलनायक की भूमिका जरूर बना है।

 कुछ होते हैं मददगार,
 नहीं होते समाज का हिस्सा,
 होती उनकी सोच अलग,
तभी कहलाते प्रेम प्रतीक की प्रतिष्ठा।।

कहने वाले कहते रहते हैं, उनके मुंह की क्या बातें रहती हैं। जहां 2 लोग साथ दिख जाएं, उनके दिल में सांप लोटने लगते हैं। दूसरों की घर में आग लगाने के लिए, अपने घर को पहले जला देते हैं। किसी को खुश होता देख, इनकी खुद की खुशी का पता भूल जाते हैं। ए प्यार करने वालों, तुम फिकर ना करो इस बेतुकी समाज की, जो समस्याओं का हल तो ना ढूंढ सका, पर हर बार समस्या बनकर उभरा है, हर प्रेम कहानी में खलनायक की भूमिका जरूर बना है। कुछ होते हैं मददगार, नहीं होते समाज का हिस्सा, होती उनकी सोच अलग, तभी कहलाते प्रेम प्रतीक की प्रतिष्ठा।।

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