ये जो तुम पास ना होकर भी पास होने का एहसास करा जाती हो ना,
अच्छा लगता है।
उदास मेरे मन को जो चुपके से हंसा जाती हो ना, अच्छा लगता है।
जानती तो हो मोहब्बत कर बैठे थे तुमसे,
मगर फिर भी दोस्ती का हाथ थामे जो साथ चलती होना,
अच्छा लगता है।
तू नहीं जानती तेरी आवाज में जो कशिश है, उसी कशिश भरी आवाज
से जब मेरा हाल पूछती हो ना, अच्छा लगता है।
ये जो मेरे चीढ़ाने पर फटाक से गुस्सा हो जाती हो, पर मनाने से तुरंत
गुस्सा भुलाकर, जो मुस्कुरा कर बात दोहराती हो ना, अच्छा लगता है।
यूं तो आशिक कई होंगे शहर भर में तेरे, मगर इस आशिक को सिर्फ
आवाज़ सुना कर खुश कर जाती हो ना, अच्छा लगता है।
तेरे बगल में बैठ कर की गई हर वो शरारत याद है मुझे, क्लास के बाहर
देख कर मुझे, वो तेरा भाग जाना भी याद है मुझे, और जाते-जाते
तेरा वह हाथ मिलाना और गले मिलने से इंकार करना, नहीं भूल पाया
अब तक,मगर इन सभी बातों को याद कर मंद मंद मुस्काना,
अच्छा लगता है।
अब तक तो जरूर आ गई होंगी तेरे चेहरे पर भी इस्माइल
इन बातों को सुनकर,
बस इसी स्माइल को तेरे होठों पर बरकरार रख पाना,
अच्छा लगता है।
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