पक्षपात ना सूरज करता है पक्षपात! ना किरणें जानती

"पक्षपात ना सूरज करता है पक्षपात! ना किरणें जानती हैं पक्षपात! जीवनदायिनी वायु को देखो, क्या सोच सकता है वो पक्षपात! ये नीला अम्बर, ये नदियाँ ये झरने, निस्वार्थ ये पर्वत ये पंक्षी , नहीं जानते करना पक्षपात! है स्वार्थी और मतलबी यहाँ सिर्फ और सिर्फ इंसान , अपनी कामयाबी की खातिर छोड़ देता है अपनों का साथ! भूला देता है प्रेम और समर्पण, अपनी सुख सुविधाओं के लिए प्रकृति का भी किया है दोहन वादे करके बड़े पक्षपात करता है यहाँ इंसान! © NAVIKA"

 पक्षपात  ना सूरज करता है पक्षपात! 
ना किरणें जानती हैं पक्षपात! 
जीवनदायिनी वायु को देखो, 
 क्या सोच सकता है वो पक्षपात! 
ये नीला अम्बर, ये नदियाँ ये झरने, 
निस्वार्थ ये पर्वत ये पंक्षी , 
नहीं जानते करना पक्षपात! 

है स्वार्थी और मतलबी यहाँ
सिर्फ और सिर्फ इंसान , 
अपनी कामयाबी की खातिर
छोड़ देता है अपनों का साथ! 
भूला देता है प्रेम और समर्पण, 
अपनी सुख सुविधाओं के लिए
प्रकृति का भी किया है दोहन 
वादे करके बड़े पक्षपात करता है
यहाँ इंसान!

© NAVIKA

पक्षपात ना सूरज करता है पक्षपात! ना किरणें जानती हैं पक्षपात! जीवनदायिनी वायु को देखो, क्या सोच सकता है वो पक्षपात! ये नीला अम्बर, ये नदियाँ ये झरने, निस्वार्थ ये पर्वत ये पंक्षी , नहीं जानते करना पक्षपात! है स्वार्थी और मतलबी यहाँ सिर्फ और सिर्फ इंसान , अपनी कामयाबी की खातिर छोड़ देता है अपनों का साथ! भूला देता है प्रेम और समर्पण, अपनी सुख सुविधाओं के लिए प्रकृति का भी किया है दोहन वादे करके बड़े पक्षपात करता है यहाँ इंसान! © NAVIKA

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