जानिब मैं अगर चाहूँ तो हर नज़्म मुक़र्रर कर दूँ
मैं वो हूँ जो चुन चुन कर हर अक्षर में स्वर भर दूँ
मेरा हर प्याला मतवाला है साकी से कहो वो जाए
अब जान भी और ये दिल भी कीमत में मेरी लौटाए
जानिब मैं अगर चाहूँ तो साहिलों को रुखसत कर दूँ
मैं बहता पानी हूँ मैं हवा में शख्सियत भर दूँ
मेरे असर की दुवाएं जो लोग किया करते हैं
अब जाकर समझे हैं किसे रोज़ जिया करते हैं
जानिब मैं अगर चाहूँ तो हर ज़र्रे को खुदा कर दूँ
ये जो काले साये हैं इस हुकूमत से जुदा कर दूँ
मेरी उँगलियों पर ग़ालिब तेरी रहमत सदा चलती है
तू जो फिर मुझमें बोले तो "वाणी" "शिव" से जा मिलती है
जानिब मैं अगर चाहूँ तो हर चीज़ मुकम्मल कर दूँ
कीमत है जो कुछ पाने की तेरी जान पर मुसलसल रख दूँ
ये जो भरम है कि मैं मैं हूँ ये खेल है तेरे ख्वाबों का
जो हकीकत मैं बयाँ कर दूँ तो फिर आईना हूँ तेरे वादों का
जानिब मैं सैलाब कई नजरों का लहरें है मेरे कदमों पर
जो रेत तेरी यादों का वो इल्म तेरे ज़ख्मों पर
ये तूफानों में ढह जाएँगे - जो सात खंड हैं ख़ास
काम वहीं आएंगे मेरे अश्क़ - जो सात समंदर हैं पास
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जानिब मैं अगर चाहूँ तो @Nojoto Hindi @Deepshikha Sujata Mishra अतुल उपाध्याय @Kavita Gautam @Rahul jaipuri