"मेरा दिल मेरे दिमाग से कहता है कि तुझे किसी के साथ कि जरूरत है लेकिन दिमाग दिल से कहता है कि मुझे अकेला चलना पसंद है क्योंकि जब भी मैं किसी कि वजह से मुसिबत में होता हूँ तब अकेले में शांति से खुद को समझाता हूँ और तुम किसी कि वजह से मुसिबत में होते हो उसके बारे में सोचते हो तब मन में कुछ ना कुछ चलता रहता है शांत होने की जगह तुम मन में किसी और के बारे में सोच कर फैसला लेते हो बाद में पछताते हो, मैं जब जब भी अकेला होता हुँ ,खुद से साथ होता हूँ ,तुम खुद के साथ होने कि जगह किसी ओर के साथ होते हो।
©Nikita Garg
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