जीवन कम पड़ गया' यूँ तो मैं समंदर पार कर गया एक | हिंदी Poetry

"'जीवन कम पड़ गया' यूँ तो मैं समंदर पार कर गया एक पल में चंद कदमों की दूरी को एक जीवन कम पड़ गया यूँ तो छू लिया नभ का भी अंतिम छोर उसका हाथ छूने को एक जीवन कम पड़ गया देख लिया धरा की गहराई को नापकर उसकी आँखों कि गहराई नापने को एक जीवन कम पड़ गया चूम लिया पर्वत की सबसे ऊंची चोटी को उसका माथा चूमने को एक जीवन कम पड़ गया लगा लिया जीवन के हर ख्वाब को गले उसे गले लगाने को एक जीवन कम पड़ गया ✍️ ~ अमित वर्मा ©Amit Verma"

 'जीवन कम पड़ गया' 
यूँ तो मैं समंदर पार कर गया एक पल में
चंद कदमों की दूरी को एक जीवन कम पड़ गया
यूँ तो छू लिया नभ का भी अंतिम छोर 
उसका हाथ छूने को एक जीवन कम पड़ गया
देख लिया धरा की गहराई को नापकर 
उसकी आँखों कि गहराई नापने को एक जीवन कम पड़ गया
चूम लिया पर्वत की सबसे ऊंची चोटी को
उसका माथा चूमने को एक जीवन कम पड़ गया
लगा लिया जीवन के हर ख्वाब को गले
उसे गले लगाने को एक जीवन कम पड़ गया
✍️
~ अमित वर्मा

©Amit Verma

'जीवन कम पड़ गया' यूँ तो मैं समंदर पार कर गया एक पल में चंद कदमों की दूरी को एक जीवन कम पड़ गया यूँ तो छू लिया नभ का भी अंतिम छोर उसका हाथ छूने को एक जीवन कम पड़ गया देख लिया धरा की गहराई को नापकर उसकी आँखों कि गहराई नापने को एक जीवन कम पड़ गया चूम लिया पर्वत की सबसे ऊंची चोटी को उसका माथा चूमने को एक जीवन कम पड़ गया लगा लिया जीवन के हर ख्वाब को गले उसे गले लगाने को एक जीवन कम पड़ गया ✍️ ~ अमित वर्मा ©Amit Verma

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