इंसानियत बेबस प्यासा-मन परिंदा उङेगा इंसानियत को | हिंदी Shayari

"इंसानियत बेबस प्यासा-मन परिंदा उङेगा इंसानियत को प्यासा,इंसान शर्मिंदा रहेगा खुद्दार संसार में,कंठ की तराहट को ये जहाँ बैठे- बैठे,बस निंदा करेगा मेरा गला यूँ न घोंटो,दम घुटता है हो बूंद- बूंद,प्यासा मन बुझता है जब तक,हर किरण मन रौशन करेगा तब तक ज़िन्दगी बचाने,इंसानियत ज़िंदा रहेगा @vishwa4832"

 इंसानियत

बेबस प्यासा-मन परिंदा उङेगा
इंसानियत को प्यासा,इंसान शर्मिंदा रहेगा
खुद्दार संसार में,कंठ की तराहट को
ये जहाँ बैठे- बैठे,बस निंदा करेगा

मेरा गला यूँ न घोंटो,दम घुटता है
हो बूंद- बूंद,प्यासा मन बुझता है
जब तक,हर किरण मन रौशन करेगा
तब तक ज़िन्दगी बचाने,इंसानियत ज़िंदा रहेगा
@vishwa4832

इंसानियत बेबस प्यासा-मन परिंदा उङेगा इंसानियत को प्यासा,इंसान शर्मिंदा रहेगा खुद्दार संसार में,कंठ की तराहट को ये जहाँ बैठे- बैठे,बस निंदा करेगा मेरा गला यूँ न घोंटो,दम घुटता है हो बूंद- बूंद,प्यासा मन बुझता है जब तक,हर किरण मन रौशन करेगा तब तक ज़िन्दगी बचाने,इंसानियत ज़िंदा रहेगा @vishwa4832

#Insaniyat

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