दुनियां बुरी कैसे ?
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* दुनियां बहुत बुरी है।* ऐसा अक्सर कहते सुना जाता है। लेकिन जब दुनियां इतनी बुरी है तो इसको छोड़ते
समय तकलीफ क्यों होती है। क्यों नहीं हंसते हुए राजी खुशी से निकल जाते हैं। पेड़ पौधे, झरने, पर्वत, नदियों
और खूबसूरत वादियों के साथ साथ हमसे भी तो बनी है। मनुष्य को छोड़ बाकी इनमें से कोई भी इंसान की
जिन्दगी में दखल नहीं देता। बल्कि इन्सान ही उल्टे इनसे
खेलता है। तो बुरी दुनियां कैसे। सच ये है कि बुरी दुनियां
नहीं ,बुरी इन्सान की सोच है। खुद में कमी ढूढने के बजाय हम औरों की कमी ही ज्यादा ढूढते है, दूसरे की
सफलता पर जलन होती है,हमारे जैसा कोई नहीं, जो
मिले , हमें मिले। यही सोच है और हमारी इन्हीं सोच के
कारण हमें खूबसूरत दुनिया बुरी लगती है। जब इन्सान के मुताबिक नहीं होता तो दुनियां बुरी हो जाती है। सोच
बदलें,अच्छी लगने लगेगी।
©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
# दुनियां बुरी कैसे?