World poetry day
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दुख से भरे अहसास छुपे हैं कविता में सुख के कोमल आभास छुपे हैं कविता में प्यार, दोस्ती ,रिश्ते, शिकायत,अपनापन कहीं छल कहीं विश्वास छुपे हैं कविता में नटखट बचपन बैरी यौवन बूढ़ा जीवन उम्र के दिन और मास छुपे हैं कविता में मिलना, बिछड़ना और फिर से मिलना कभी दूर तो कभी पास छुपे हैं कविता में प्रेम आलिंगन लाज की लाली और चुम्बन इंतज़ार ,मिलन और आस छुपे हैं कविता में टूटे दिल टूटी सांसें टूटी क़समें और टूटे वादे ख़ाली पैमाने और प्यास छुपे हैं कविता में देशप्रेम ,जनचेतना, सियासतें और नारी वेदना नदियां, धरती और आकाश छुपे हैं कविता में ©Roohi Quadri

#World_Poetry_Day  दुख से भरे अहसास छुपे हैं कविता में
सुख के कोमल आभास छुपे हैं कविता में

प्यार, दोस्ती ,रिश्ते, शिकायत,अपनापन
कहीं छल कहीं विश्वास छुपे हैं कविता में

 नटखट बचपन बैरी यौवन बूढ़ा जीवन
उम्र के दिन और मास छुपे हैं कविता में

मिलना, बिछड़ना और फिर से मिलना
कभी दूर तो कभी पास छुपे हैं कविता में

प्रेम आलिंगन लाज की लाली और चुम्बन
इंतज़ार ,मिलन और आस छुपे हैं कविता में

टूटे दिल टूटी सांसें टूटी क़समें और टूटे वादे 
ख़ाली पैमाने और प्यास छुपे हैं कविता में

देशप्रेम ,जनचेतना, सियासतें और नारी वेदना
नदियां, धरती और आकाश छुपे हैं कविता में

©Roohi Quadri
#World_Poetry_Day #कविता  ज़िंदगी तो एक बुलबुला है,
जमीं की सतह पर जन्मता है मरता है,
इसमें कुछ सही और कुछ गलत जैसा नहीं है,
जो हो रहा है सही है, जो हो चुका वो भी सही था,
जो होगा वो भी सही होगा,
जीवन यात्रा का रथ किसी कुरुक्षेत्र में नहीं है,
ये नियती के बनाए उस रास्ते पे है जिसपे
अंतिम पड़ाव मौत है।

©ASHUTOSH 'ASHU'
#विचार  दुनियां बुरी कैसे ?
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* दुनियां बहुत बुरी है।* ऐसा अक्सर कहते सुना जाता है। लेकिन जब दुनियां इतनी बुरी है तो इसको छोड़ते
समय तकलीफ क्यों होती है। क्यों नहीं हंसते हुए राजी खुशी से निकल जाते हैं। पेड़ पौधे, झरने, पर्वत, नदियों
और खूबसूरत वादियों के साथ साथ हमसे भी तो बनी है। मनुष्य को छोड़ बाकी इनमें से कोई भी इंसान की
जिन्दगी में दखल नहीं देता। बल्कि इन्सान ही उल्टे इनसे
खेलता है। तो बुरी दुनियां कैसे। सच ये है कि बुरी दुनियां
नहीं ,बुरी इन्सान की सोच है। खुद में कमी ढूढने के बजाय हम औरों की कमी ही ज्यादा ढूढते है, दूसरे की
सफलता पर जलन होती है,हमारे जैसा कोई नहीं, जो
मिले , हमें मिले। यही सोच है और हमारी इन्हीं सोच के
कारण हमें खूबसूरत दुनिया बुरी लगती है। जब इन्सान के मुताबिक नहीं होता तो दुनियां बुरी हो जाती है। सोच
बदलें,अच्छी लगने लगेगी।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# दुनियां बुरी कैसे?

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आप वह सब अच्छा नहीं कर सकते जिसकी दुनिया को ज़रूरत है... लेकिन दुनिया को वह सब अच्छा चाहिए, जो आप कर सकते हैं ।। ©Sumeet Rampal

#World_Poetry_Day  आप वह सब अच्छा नहीं कर सकते जिसकी दुनिया को ज़रूरत है...
लेकिन दुनिया को वह सब अच्छा चाहिए,
जो आप कर सकते हैं ।।

©Sumeet Rampal

बस ये सोचकर अच्छा लिखता हु मै कोई जब पढ़े तो अच्छा सोचे । ©Suraj

#World_Poetry_Day #शायरी #thought #Feeling #my  बस ये सोचकर अच्छा लिखता हु मै
कोई जब पढ़े तो अच्छा सोचे ।

©Suraj
#twistedooze  व्यस्तता को ठहरा कर, 
वह थकावट मिटाने आया है,
सोच की गहराईयों से कुछ अक्षर चुन कर लाया है,
शीर्षक की रस्सी मे शब्दो को पिरोकर,
सूखे गुलाब की लाली से यादो को संजोकर,
भर कर स्याही, वह कलम मे लाया है,
कलपनाओ का बक्सा ले,
पन्नो से मिलने आया है,
मोर पंखो से सजी सप्तरंगी सी डायरी,
शब्दहीन पन्ने मे उलझी हुई शायरी,
चुरा कर समय से वह वक्त लेकर आया है,
अरसो बाद कवि,
 अपनी कविता से मिलने आया है।

©Rashmi Ranjan

#twistedooze

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