कितनी बातें जो
मुझे सुनानी थीं तुमको,
वो जुगनुओं से चमचमाते स्वप्न
चाँद की आँखों में झिलमिलाता हुआ प्रेम
हवाओं की शीतलता में घुली हुई, मेरी
माँद पड़ी मेहँदी की सुगंध।
तारों को जुड़े में बांधकर
एक आह ! भरती हुई औंधाई रात
की चादर ओढ़े हुए मैं,
और आकाश को कोरे पन्ने पर
कविताओं में समेटे हुए,तुम
हाँ! सिर्फ-तुम...
-Shwati pandey🌿
बातें कितनी जो बन गईं कविताएं..!
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