कोई तो एक अल्फाज़ बिखरा है
क्यों ये दिल बार बार टुटकर खुद को
समेट रहा है
एक सुबह जो उम्मीद आयी
फिर
क्यों
वो ढलती शाम तक अंधेरे का स्वरूप बन गयी
चाहते तो कभी कम नही होती
और जो कम हो जाए वो चालाकियों की
हवा है
और
ये
नादन दिल कभी समझ नही पाया.
©Bhawana Pandey
#Preying