मेरी मां
मेरी मां ने मेरी तमन्ना की मेरे आने से पहले
मुझको कितना संभाला मेरे आने से पहले
दोनों जहां की मोहब्बत लुटाई मेरे चाहने से पहले
हर दुआ में दुआ मेरे लिए मांगी मेरे मांगने से पहले
मेरी हर तमन्ना की पूरी मेरे चाहने से पहले
मुझको सूखे में सुला के गिले में सोती थी
अपने आंचल की ठंडी हवा देती थी
मेरी छोटी सी हरकत पर वो जाग जाती थी
मुझको थपकी देती वो खुद जागा करती थी
कितने सपने सजाए मेरे सपनों के लिए
कितने सजदे किए मेरी सलामती के लिए
उसने कोई हिसाब ना रखा अपनी दुआओं का
वह लुटाती रही बेहिसाब
और मैंने हिसाब रखा हर किस्त का अपनी किताब में
(खान रिज़वान)
मेरी मां