महबूब लौटा नहीं करते... शेर-ओ-शायरी तो दिल बहला

महबूब लौटा नहीं करते...

शेर-ओ-शायरी तो दिल बहलाने का ज़रिया है जनाब,
लफ़्ज़ काग़ज़ पर उतारने से महबूब लौटा नहीं करते।

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